डाॅ. रामफूल जाट
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून वर्ष 2005 में लागू हुआ और प्रारम्भ में भारत के सबसे बड़े राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी में देश के सभी जिलों को इसमें शामिल कर लिया गया एवं अक्टूबर 2009 में इसका नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) कर दिया गया। अधिनियम के प्रावधानों में पंचायत राज संस्थाओं को कार्यक्रम लागू करने वाली मूल्य एजेन्सी माना गया है। इससे पंचायत राज संस्थाओं को यह महत्वपूर्ण अवसर मिला है कि वे अपने गांव की अधोसंरचना बदलने में और घोर गरीबी का समाधान करने में ग्रामीण स्तर की संस्थाओं की भूमिका प्रस्तुत करे। यह अध्ययन ग्रामीण इलाकों में आजीविका के अवसर उपलब्ध कराने में मनरेगा योजना में हुए श्रेष्ठ प्रयासों, महत्वपूणर्् उपलब्धियों, चुनौतियों, बाधाओं एवं प्रभावों और इसके कारण ग्रामीण समाज में आये सामाजिक परिवर्तनों की समीक्षा करने का प्रयास है।
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