रोहित पटेल
शिक्षा किसी देश के विकास एवं उस देश के व्यक्तियों के पूर्ण मानव क्षमता को साकार करने, न्यायपूर्ण एवं निष्पक्ष समाज विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण कारक है। यह मानवता के सामने आने वाले सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, नैतिक और आध्यात्मिक मुद्दों पर आलोचनात्मक विश्लेषण करनें का अवसर प्रदान करता हैं। शिक्षा वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास, सामाजिक न्याय और समानता, राष्ट्रीय एकता, वैज्ञानिक प्रगति एवं सांस्कृतिक सुरक्षा के मुद्दों पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच भारत की निरंतर वृद्धि एवं प्रभुत्व की कुंजी भी प्रदान करतें है। शिक्षा पद्धति को समय की जरूरतों और विश्व के बदलते परिदृश्य के अनुरूप भारत सरकार ने समय-समय पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव किये हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 से पहले भारत सरकार ने दो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 एवं 1986 (संशोधन, 1992) नीतियों का प्रारूप तैयार किया था। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 पहले की शैक्षणिक नीतियों के खामियों को दूर करने के लिए विकसित किया गया है। इस नीति में पहुंच, समानता, गुणवत्ता, सामर्थ और जवाबदेही ये पांच स्तम्भ नींव के रूप में कार्य करते हैं। वर्तमान प्रौद्योगिकियों के बढ़ते उपयोग और विकास के साथ कौशल आधारित शिक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत में सभी शैक्षणिक स्तरों एवं चरणों, प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा में व्यापक सुधार किए गए हैं। प्रस्तुत लेख में उच्चतर शिक्षा के संदर्भ में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 पहले के राष्ट्रीय शिक्षा नीति से किस प्रकार से अलग है, इसमें क्या प्रस्तावित परिवर्तन हुए हैं? इससे उच्च शिक्षा में कैसे लाभ होगा एवं उच्च शिक्षा की भविष्य के प्रारूप का विश्लेषण किया गया है। इस लेख के द्वारा समाज के लोगों का उच्च शिक्षा में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर हो रहे संसय एवं भ्रम दूर होंगे। इसके क्रियान्वयन होने से उच्च शिक्षा में आनें वाली समस्याएं और उनके निदान का ज्ञान होगा, जिससे लोगों के बीच उच्च शिक्षा को लेकर जागरूकता का विकास होगा।
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