नीलम संजीव एक्का
प्रस्तुत अध्ययन छत्तीसगढ़ में निवासरत उरांव जनजाति में प्रचलित गणचिन्ह (टोटम) परंपरा पर आधारित है| भारतीय भू-भाग में निवासरत विभिन्न जनजातियों के समान इस जनजाति में भी आदिकालीन गणचिन्ह (टोटम) परंपरा विद्यमान है| जनजातीय गणचिन्ह (टोटम) परंपरा का अध्ययन इस दृष्टि से महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह परंपरा वर्तमान वैश्विक समस्याओं में से एक महत्वपूर्ण पर्यावरण की समस्या के समाधान के लिए मानव समूह को पथ प्रदर्शित करता है| वर्तमान समय में समूचा मानव समुदाय वैश्विक तापमान में वृद्धि,पर्यावरण प्रदुषण और जैव विविधता को बनाए रखने की चुनौतियों का सामना कर रहा है| प्रस्तुत शोधपत्र में यह देखने का प्रयास किया गया है उरांव जनजाति अपनी आदिकालीन गणचिन्ह (टोटम) परंपरा द्वारा प्रकृति को किस प्रकार संरक्षित करने का प्रयास करती है|
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