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International Journal of Sociology and Humanities
Peer Reviewed Journal

Vol. 7, Issue 1, Part B (2025)

खरवार जनजाति: सामाजिक संरचना, परंपराएँ एवं आधुनिकता के प्रभाव

Author(s):

श्रीकान्त

Abstract:

यह शोध आलेख खरवार जनजाति की सामाजिक संरचना, सांस्कृतिक परंपराएँ, आर्थिक जीवन, धार्मिक मान्यताएँ तथा आधुनिकता के प्रभावों का समाजशास्त्रीय विश्लेषण प्रस्तुत करता है। यह जनजाति मुख्य रूप से झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों में निवास करती है तथा अपनी विशिष्ट पारंपरिक जीवनशैली हेतु जानी जाती है। आलेख हेतु अध्ययन में पाया गया कि पारंपरिक समाज में यह समुदाय कृषि, वनोपज संग्रह तथा शिकार जैसी गतिविधियों पर निर्भर था किन्तु वर्तमान में आधुनिकरण-शहरीकरण के कारण इनकी आजीविका एवं सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन देखा जा रहा है। स्वातंत्रयोत्तर काल में शिक्षा, रोजगार, राजनीतिक भागीदारी एवं सरकारी आरक्षण नीतियों के कारण इस समुदाय में सामाजिक चेतना का विकास हुआ है जिससे जातिगत भेदभाव तथा सामाजिक संघर्ष के खिलाफ जागरूकता तो बढ़ी है किन्तु खरवार समुदाय अब भी सामाजिक-आर्थिक असमानताओं तथा विस्थापन जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है। इनके पारंपरिक ज्ञान, लोककथाओं और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की आवश्यकता है जिससे कि इनकी पहचान एवं सामाजिक पूंजी को बचाया जा सके। प्रस्तुत आलेख में यह स्पष्ट है कि सरकारी योजनाओं तथा समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से खरवार जनजाति के विकास हेतु एक संतुलित नीति आवश्यक है जिससे कि इनकी पारंपरिक विरासत सुरक्षित रह सके साथ ही ये आर्थिक रूप से भी सशक्त हो सकें। भविष्य में इस जनजाति के भाषाई, सांस्कृतिक तथा आर्थिक बदलावों पर और गहन शोध की आवश्यकता है।

Pages: 93-97  |  49 Views  14 Downloads


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How to cite this article:
श्रीकान्त. खरवार जनजाति: सामाजिक संरचना, परंपराएँ एवं आधुनिकता के प्रभाव. Int. J. Sociol. Humanit. 2025;7(1):93-97. DOI: 10.33545/26648679.2025.v7.i1b.130
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