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International Journal of Sociology and Humanities
Peer Reviewed Journal

Vol. 7, Issue 2, Part B (2025)

विनय कुमार के जीवनवृत्तात्मक उपन्यासों में प्रतीकात्मकता का निर्वाह

Author(s):

राजकुमार

Abstract:

गहनता से विचार करने पर इस सत्यता का आभास होता दिखाई देगा कि दीर्घ जीवी वही घटना, प्रसंग अथवा प्रवृति और पात्र की प्रवृति सिद्ध होती है, जो हमारे मन-मस्तिष्क का दैनिक मानसिक जीवन का अविछिन्न अंश बन चुकी हों। ‘‘महाभारत की घटनाएँ उसी कोटि की बन चुकी है। अन्यथा सहस्रों वर्षों से जनता उन्हें इस भाँति सहेजती? यही प्रतीकात्मकता कहलाती है।’’ जो हमारे हृदय में सदियों से किसी न किसी रूप में स्थायीत्व प्राप्त कर लेती है। वही प्रतीकात्मकता का यथार्थ रूप है। विनय कुमार की औपन्यासिक कृतियों में प्रतीकात्मकता की अभिव्यक्ति जहाँ-जहाँ भी हुई है, बड़े सुन्दर और प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत हुई है।

Pages: 132-135  |  294 Views  81 Downloads


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How to cite this article:
राजकुमार. विनय कुमार के जीवनवृत्तात्मक उपन्यासों में प्रतीकात्मकता का निर्वाह. Int. J. Sociol. Humanit. 2025;7(2):132-135. DOI: 10.33545/26648679.2025.v7.i2b.196
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