विजया, उमेश कुमार
भारतीय फ़िल्मों का बच्चों के सामाजिक संबंधों और व्यवहार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, जो उनकी धारणाओं, संचार कौशल और समाजीकरण पैटर्न को आकार देता है । भारत में रंगीन और गतिशील कहानी अक्सर विभिन्न प्रकार के चरित्र, सांस्कृतिक मानदंड और सामाजिक परिदृश्य प्रस्तुत करती है, जिन्हें बच्चे अपने दैनिक जीवन में आत्मसात और अनुकरण करते हैं । इस अध्ययन का उद्देश्य बच्चों के सामाजिक संबंधों पर भारतीय फ़िल्मों के प्रभाव का पता लगाना है, यह जाँचना कि फ़िल्म के पात्र, कथाएँ और विषय परिवार और सहकर्मी समूह दोनों में उनके सम्बन्ध को कैसे प्रभावित करते हैं । भारतीय फ़िल्में अक्सर परिवार के सदस्यों, दोस्तों और सामाज की भूमिकाओं के मध्य संबंधों को दर्शाती हैं, जिन्हें बच्चे अपने रिश्तों में आत्मसात और प्रतिबिंबित करते हैं । इसके अतिरिक्त, फ़िल्मों में दिखाए गए भावनात्मक अनुभव, जैसे कि प्रेम, संघर्ष और सुलह, बच्चों को वास्तविक जीवन की स्थितियों में संवाद करने और संघर्षों को हल करने का तरीका सिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । शोध आगे जाँच करता है कि बॉलीवुड फ़िल्मों में सामाजिक मानदंडों, लैंगिक भूमिकाओं और नैतिक पाठों का चित्रण बच्चों की उचित व्यवहार की कल्पना को कैसे विकसित करता है । विभिन्न बॉलीवुड शैलियों के संपर्क में आने वाले बच्चों में व्यवहारिक बदलावों का विश्लेषण करके, यह अध्ययन बचपन के विकास पर लोकप्रिय मीडिया के व्यापक प्रभाव पर ध्यान केन्द्रित करता है । इस अध्ययन का उद्देश्य माता-पिता, शिक्षकों और नीति निर्माताओं को बच्चों के सामाजिक और भावनात्मक विकास पर मीडिया उपभोग के प्रभाव के बारे में जानकारी देना है ।
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