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International Journal of Sociology and Humanities

Vol. 2, Issue 1, Part A (2020)

डिजिटल क्रांति एवं सामाजिक परिवर्तन

Author(s):

डाॅ. रामफूल जाट

Abstract:

डिजिटल क्रांति को तीसरी औद्योगिक क्रांति के रूप में जाना जाता है। कम्प्यूटर और डिजिटल प्रौद्योगिकी के अन्य पहलुओं को अपनाने से मानव अपने पर्यावरण के साथ कैसे बातचीत करते है, यह बदल गया है और परिवर्तन आज भी जारी है। 19वीं सदी के अन्त में चाल्र्स बेवेज द्वारा विश्लेषणात्मक इंजन (आधुनिक कम्प्यूटर का अग्रदूत) और साथ ही टेलीग्राफ के आविष्कार ने डिजिटल क्रांति को गति दी थी। पर्सनल कम्प्यूटर का आविष्कार हुआ तो डिजिटल आर्थिक कारणों से व्यवहारिक होने लगा। परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है, सब कुछ परिवर्तनशील है इसलिए समाज भी बिना परिवर्तन के गतिशीलता संभव नहीं है और न बिना गतिशीलता के समाज का अस्तित्व। सर्वप्रथम आगस्त काॅम्ट ने सामाजिक परिर्वतन का उल्लेख किया इसे उन्होंने सामाजिक गतिकी कहा था। सामाजिक परिवर्तन का समाजशास्त्री कार्ल माक्र्स माना जाता है। गिडिन्स ने सामाजिक परिवर्तन के अन्तर्गत भौगोलिक स्थितियां, प्रौद्योगिकी, औद्योगीकरण, संचार के साधन, ज्ञान-विज्ञान आदि के कारण समाज में आने वाले परिवर्तनों को रखा है। प्रस्तुत शोध पत्र में पारदर्शी, सरल और सुलभ प्रशासन के संदर्भ में डिजिटल क्रांति का प्रभाव एवं इसके परिणाम स्वरूप उत्पन्न सामाजिक परिवर्तन के प्रभाव को जानने का प्रयास है।

Pages: 29-31  |  125 Views  35 Downloads


International Journal of Sociology and Humanities
How to cite this article:
डाॅ. रामफूल जाट. डिजिटल क्रांति एवं सामाजिक परिवर्तन. Int. J. Sociol. Humanit. 2020;2(1):29-31. DOI: 10.33545/26648679.2020.v2.i1a.75
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