Contact: +91-9711224068
  • Printed Journal
  • Indexed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal
International Journal of Sociology and Humanities

Vol. 4, Issue 1, Part A (2022)

वैश्वीकरण के युग में गाँधी के आर्थिक चिंतन की प्रासंगिकता

Author(s):

विमलेश यादव

Abstract:
गाँधीजी की आर्थिक आयामों का संबंध व्यक्ति और समाज के उत्थान के साथ जुड़ा हुआ है। आपका मानना है कि जब तक हमारा समाज आर्थिक रूप से प्रभावशाली नहीं होगा तो उन्हें अनेक प्रकार की आर्थिक समस्याएँ व्याप्त होंगी। गाँधी जी कहते हैं कि आर्थिक समानता की जड़ में धनिक का ट्रस्टीपन निहित है। समाज में आर्थिक समानता लाने के लिए पूंजीपतियों एवं जमीदारों के पास जो अनावश्यक धन व भूमि है, उसको प्राप्त कर उन्हें सामाजिक संरक्षण के रूप में रखा जाए, जिसका उपयोग निर्धन लोगों के लिए हो। इस प्रकार गाँधी की आर्थिक चिंतन द्रवित नैतिकता की बुनियाद पर टिकी हुई है जिसमें मानव के शोषण की गुंजाइश नहीं है।

Pages: 29-31  |  663 Views  280 Downloads


International Journal of Sociology and Humanities
How to cite this article:
विमलेश यादव. वैश्वीकरण के युग में गाँधी के आर्थिक चिंतन की प्रासंगिकता. Int. J. Sociol. Humanit. 2022;4(1):29-31. DOI: 10.33545/26648679.2022.v4.i1a.31
Journals List Click Here Other Journals Other Journals