संदीप कुमार गुर्जर
समाज कल्याण योजनाओं के अन्तर्गत समाज के दुर्बल वर्गो के लिए आयोजित वह सेवाएँ आती है, जो इन वर्गो की सामाजिक, आर्थिक या शैक्षिक स्थिति के उत्थान के लिये आयोजित की जाती है। सरकार द्वारा कमजोर एवं दुर्बल वर्गो को समाज कल्याण योजनाओं से जोड़ा जाता है। समाज कल्याण के कार्यक्षेत्र में बालकों, महिलाओं, वृद्धों, अशक्तों, बाधित व्यक्तियों, पिछड़ी हुई जातियों, आदिवासियों आदि के लिए सामाजिक सेवाओं और समाज कल्याण उपायों की व्यवस्था आती है। सामाजिक न्याय एवं कल्याण के महत्व एवं उपयोगिता को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तुत शोध अध्ययन में राजस्थान राज्य में संचालित देवनारायण योजनाओं की प्रभावशीलता का अध्ययन करना है जिसमें प्रमुख बल देवनारायण योजना पर है। भारत एक संघात्मक राज्य है। अतः यहां शक्तियाँ राज्य एवं केन्द्र के मध्य बंटी हुई है। केन्द्रीय एवं राज्य स्तर पर सामाजिक प्रशासन के कार्यों को सम्पन्न करने के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग अहम् भूमिका निभाता है। समाज के पिछड़े वर्गों के संरक्षण एवं कल्याण हेतु तथा उनके शैक्षणिक और आर्थिक विकास के लिए राजस्थान सरकार ने देवनारायण योजना का क्रियान्वयन किया। प्रस्तुत शोध में राजस्थान के भरतपुर एवं करौली जिले में संचालित देवनारायण योजना से लाभ प्राप्त करने वाले उत्तरदाताओं से प्रत्यक्ष रूप से साक्षात्कार किया गया है। उनसे कुछ सामान्य प्रश्नों के माध्यम से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा चलाई जा रही देवनारायण योजनाओं की जानकारी ली गई हैं। जिसमें इन योजनाओं की जानकारी एवं लाभ आपको मिला हैं या नहीं है। इसके अतिरिक्त साक्षात्कार के दौरान उत्तरदाताओं से यह जानने का प्रयास भी किया गया है कि वर्तमान देवनारायाण योजना के क्रियान्वयन में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन चाहते है या नहीं।
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