संगीता कुशवाहा एवं डाॅ. किरण सिंह
वर्तमान सामाजिक समता, और न्याय और व्यक्ति की प्रतिष्ठा पर आधारित ग्रामीण जीवन का नया रूप देने का एक सामूहिक प्रयास है। भारतीय महिलाएँ, और विशेष रूप से ग्रामीण महिलाएँ, घर के अंदर और बाहर भी कई सामाजिक और आर्थिक भूमिकाएँ निभाती हैं, लेकिन समाज में उनके योगदान को उचित मान्यता नहीं मिलती है। उन्हें केवल बाल स्वास्थ्य, पोषण आदि से संबंधित कार्यक्रम में ही सम्मिलित किया जाता हैं। इसका कारण योजनाकारों द्वारा महिलाओं के योगदान और क्षमता को कम माना जाता है। ग्रामीण विकास में महिलाओं की बदलती तस्वीर से परिलक्षित होता है कि महिलाओं की विभिन्न क्षेत्रों में भागीदारी में भी वृद्धि हुई ग्रामीण क्षेत्रों में महिला साक्षरता में भी बढ़ोतरी देखी गई है। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएँ अब अपने क्षेत्र से सम्बन्धित समस्याओं को जानने तथा उनको दूर करने के लिए कार्य भी करती है। ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामसभा के आयोजन से पहले महिलाओं की एक आमसमा का आयोजन किया जाता है। जिसमें ग्रामीण महिलाएं अपनी समस्याओं को सभा अध्यक्ष के सामने प्रस्तुत करती है। ग्रामसभा में उन समस्याओं पर विचार-विमर्श करके निवारण किया जाता, इस प्रकार ग्रामीण महिलाएं सशक्तिकरण की ओर बढ़ रही है।
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