डॉ० करुणा कुमारी
भारत और पाकिस्तान भाषाई, सांस्कृतिक, भौगोलिक और आर्थिक संबंध साझा करते हैं, फिर भी उनके संबंध कई ऐतिहासिक और राजनीतिक घटनाओं के कारण जटिलताओं में फंस गए हैं। भारत-पाक संबंधों को वर्ष 1947 में ब्रिटिश भारत के हिंसक विभाजन, जम्मू और कश्मीर संघर्ष और दोनों देशों के बीच लड़े गए कई सैन्य संघर्षों द्वारा परिभाषित किया गया है। ब्रिटिश भारत का विभाजन अब तक देखे गए सबसे बड़े मानव प्रवासों में से एक था और इसने पूरे क्षेत्र में शरणार्थियों के खूनी नरसंहार को जन्म दिया। वर्ष 1947 में भारत के विभाजन से 12.5 मिलियन लोग विस्थापित हुए, जिसमें 1 मिलियन लोगों की जान जाने का अनुमान है।
भारत हिंदू बहुसंख्यक आबादी और बड़ी मुस्लिम अल्पसंख्यक आबादी के साथ एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बन गया, जबकि पाकिस्तान भारी मुस्लिम बहुसंख्यक आबादी और अन्य धर्मों की सदस्यता लेने वाली बहुत छोटी आबादी के साथ एक इस्लामी गणराज्य के रूप में उभरा। भारत-पाकिस्तान संबंध में प्रतिस्पर्धा और वैमनस्यता भारत विभाजन से जुड़ा हुआ है। ब्रिटिश औपनिवेशिक शासनकाल से भारत ने स्वतंत्रता एक लम्बे स्वतंत्रता आंदोलन के बाद प्राप्त किया है। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में लोकतांत्रिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषायी इत्यादि तत्व निहित था। इस व्यापक स्वतंत्रता आंदोलन ने आधुनिक भारत की आधारशिला की नींव रखा था। इसी परिप्रेक्ष्य में भारतीय संविधान ने धर्मनिरपेक्ष, समाजवाद, गणतांत्रिक एवं लोकतांत्रिक भारत की आधारशिला को रखा है। दूसरी तरफ, पाकिस्तान का निर्माण धार्मिक सांप्रदायिकता का परिणाम है। आजादी के 75 साल बाद भी पाकिस्तान एक अलोकतांत्रिक शासन व्यवस्था और धार्मिक कट्टरता वाला देश बना हुआ है। पाकिस्तान का अलोकतांत्रिक राजनीतिक स्वरूप एवं धार्मिक कट्टरता ने दोनों देशों के संबंध में प्रतिस्पर्धा एवं वैमनस्यता को बनाए रखा।
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